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Diving in the Reef

"अथाह समुंदर और मैं"

अनुभव की सीमा क्या है?
क्या है समय का गहरा राज?
नए आयाम की ध्वनि, क्या है वह साज?
आज मैं Groix के आंगन में खड़ा हूं।

यह एक द्वीप है।
यहां लहरों का संगीत, चट्टानों की उमंग है।

परिंदों की गाथा, अनगिनत जीवों का संगम है।

आस है की मैं उनसे रूबरू होऊँगा।
हम निकल पड़े थे अपने स्कूबा सफर के लिए।
सभी बहुत उत्साहित थे।

ये उत्साह एक अलग दुनिया को देखने का था?
या समुंदर की असीमितिता का आंकलन करने का?

क्या सच में समुंदर असीमित है?
क्या सच में मैं उसके प्रकृति को जान पाऊंगा?
क्या जो मैं अनुभव करूंगा वही वास्तविकता होगी?
शायद बहुत से प्रश्न हैं।

अब यदि समय में रहूंगा तो,
शायद वही वास्तविकता हो।

आखिर कार उस पल से रूबरू हो ही गया।
इस सफर में छै बार समुंदर जीवों को देखने का अवसर मिला।
मैं उन सभी पालो को लिखना चाहता हूं।
सभी अनुभव को फिर से जीना चाहता हूं।
शब्दों से वास्तविकताओं को पिरोना चाहता हूं।

उबाल भरी तेज लहरे।
सीने को चीरती सी यान का सफर।
हवा का रुख बहुत उत्साही महसूस हो रहा था।
मानो वो हमारे स्वागत में पानी को स्थिर करना चाह रही थी।
पर उसका स्वभाव तो उत्तेजना से पूर्ण लग रहा था।
चट्टानें उसके साथ गले लग रही थी।
इसी खुसनुमे माहौल में हम पानी में जा चुके थे।
हमारे साथ सभी उपकरण थे।
साथ ही न जाने कितनी भावनाएँ और प्रश्न।

पानी के अंदर सांस लेना आसान था।
दृश्य बहुत ही साफ और रंगो से भरा हुआ।
सूर्य की करने भेदती हुई नीचे तक आ रही थी।
किरणों की भी चाह थी,
अपनी असीममितिता को, समुंदरी असीमितिता से मिलाने की।
उनके मित्रता की एक नय आयाम को देखा।

सांसों के बुलबुले उपर उठ रहे थे।
सूर्य किरणों से उनकी सुंदरता भी अविवरणीय थी।
चमकते दाने रेत के, चहरे पर आ रहे थे।
आंखों को अलग शांति का आभास हो रहा था।
अनेकों तरह की मछलियों को देखा।
सुनहरी, बैगनी, लाल, और बिना रंगो के भी।
क्या मैं उनको बिना रंगो के बोल सकता हूं? 
शायद नही।
जेली मछली अलग ही करतब कर रही थी।
कुछ मछलियों का झुंड साथ में विचरण कर रहा था।
साथ में होने की सुंदरता भी अलग है।
आखिरकार सभी साथ में अनुभवों को साझा तो कर सकते है।

मछलियों का भी घर होता है।
मेरा मतलब पानी से नही था।
कुछ को रेत में दबा पाया।
कुछ रंग बिरंगी घांस के पीछे।
तो कुछ का अपनों के साथ रहना ही घर था।

हा समुंदरी घांस की अजीबोग़रीब दुनिया देखी।
कुछ का वास्तविक रंग था तो कुछ सूर्य किरणों की वजह से।
एक रंगो का वर्णक्रम देखा, लाल से बैगनी तक।
कुछ तो दिशाओं के साथ बदलते हुए।
मानो वो अपनी गर्दन मोड़ के हमें ही देख रहे थे।

जलमग्न इस जहां में एक तेज हवा का प्रवाह था।
इसी बीच मेरे हाथों में एक पीले रंग की घास आ पड़ी।
शायद मैं उसको पीला नहीं बोलना चाहूंगा।
वो रंग कुछ अलग ही था।
उसमे पानी की एक छाया थी,
सूर्य किरणों का विकरण था।
छोटे छोटे छिद्र, खुल और बंद हो रहे थे।
शायद कुछ बाते करना चाहते थे।

इसी के साथ यह सफर खत्म हुआ।
बहुत से जवाब तो मिल गय थे मुझे,
पर अनेकों खलल अब भी कही घर की हुई थी।
एक नए अनुभव की सुंदरता ही अलग होती है,
आप अपनी जिज्ञासा के घड़े को भरते तो है ही,
पर साथ ही एक नए जीवंत सृजन को,
मन मंदिर में जगह दे बैठते है।
शायद यही जीवन का स्वरूप है।

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"पतझड़"

पतझड़ का मौसम जो हैं।
इरादा तो कोई उन पत्तों से पूछे,
जो आधे सूखे - आधे भीगे से है।
क्या वो झड़ना भी चाहते है?
क्या वो किसी के पैरो के नीचे कुचलना भी चाहते है?
क्या वो गुमनाम से हवा के साथ भटकना भी चाहते है?


शायद डालियों को उनसे बिछड़ना ही पड़ेगा।
अलग हुए उन पत्तों को, सूखते देखना ही पड़ेगा।

गलती ना मौसम की है,
ना ही उन जड़ों की, जो सालो से रोशनी का दीदार भी ना किया।

कुछ पत्तियां झड़ जाती है
कुछ सूख कर भी डालियों से लगी रहती है।
पतझड़ का मौसम जो है।
शायद त्याग और बलिदान का दूसरा नाम।
बल और साहस की नदियों का स्रोत।

कहते हैं, बदलाव ही तो प्रगति का संकेत है।
अगले पड़ाव को जीने की तयारी है।
नए काल को धरा में,
अवतरित करने का मैदान है।
कठिनाइयों से जूझने का अस्त्र है।
जड़ों को मजबूत करने का पोषण है।
खूबसूरती के दीदार का आईना है।
पतझड़ का मौसम जो है।

List of titles I wish to type out :)

  • Paperboat

  • Unconstructed road

  • A clay train

  • Cycle’s paddle

  • Scattered emotions

  • Five petals

  • Dry leaves

  • Leaking roof

  • Raindrops on the courtyard

  • Petrichor [Earthy scent after the first rain]

  • Grass straws under the feet

  • Moss and trunk

  • Woodpecker in the summer afternoon

  • A bumblebee sitting on a pollen-less flower

  • Crow chasing Cuckoo

  • Stone mill & house's corner

  • Dragonfly in the middle of the rainy season 

  • Cicadas in the summer evening

  • “Living” bridges

  • Newspaper cuttings

  • Magnets in the road ravines

  • Dew drops on Marigold

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